मैं गुजरूं किस किस मुसाफिर से,
ओ हाल न पूछे मेरा आज तक,
मैं परिंदों की तरह पर लगाकर उड़ जाऊं,
और समा जाऊं धरती से आकाश पर,
अब मैं मुट्ठी से निकल पड़ा हूं,
अब मैं आजादी की जिंदगी जी रहा हूं,
खुद से खुद का नाता जोड़कर
मैं आसमानों में तुम्हारा नाम लिख रहा हूं,
मैं तुम्हारे हर एक किस्से का,
खूबसूरती बिखेर रहा हूं....।।
- सुप्रिया साहू