ना कल था वो खुश नहीं खुश वो आज है
सब कुछ दिया उसे पर फिर भी नाराज है
क्या है उसके मन में कोई जानता नहीं है
लगता है जैसे दिल में कोई गहरा राज है
अफसोस शायद हम तो पहचान ना सके
अपना बनाया जिसे उसका ये मिजाज है
खुशबू हमें मिलेगी गुलशन बहुत सजाया
मालूम पर नहीं था यह कांटो भरा ताज है
अब अपने पास देने को कुछ नहीं है दास
बस चंद दिन की मोहलत दिल में आस है।I