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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

न जाने कब हो गए साठ साल के

न जाने कब हो गए साठ साल
जीवन के संघर्षों से जूझते जूझते
न जाने कब हो गए साठ साल
नौकरी ने भी अब दे दी विदाई
बच्चों की ज़िम्मेदारियाँ भी हो गई पूरी
घनी आबादी से निकल आज हम आ गए खुले मैदान में
मन भी चंचल है यह स्वीकारता ही नहीं
कि अब से सिर्फ़ हमें अपने लिए ही जीना है।

अचानक एक अजीब सा एकाकी पन छा गया
काम करने की आदत ने मन बेचैन कर दिया
बेचैनी में चाय लिए बालकनी में चली आई
बैठे बैठे प्रकृति की ख़ूबसूरती पर नज़र पड़ी
नीम,पीपल,गुलमोहर हसते-झूमते दिखे
फिर दृष्टि पड़ी उम पर बने सुंदर घरौंदों पर
मिलकर खाते,खेलते,लड़ते,लुक्का-छुप्पी करते पक्षी दिखे।

कुछ उड़ान भरने की कोशिश करते
तो कुछ एक पैर पर ही उड़ते दिखे
कुछ के पंख भी पूरे नहीं थे
फिर भी कोई उदास नहीं था
कोई अपने अधूरेपन से दुखी नहीं था
कुछ ही पलों में प्रकृति से एक सीख मिल गई
कि समय निकालने के लिए कोई काम नहीं करना
खुश रहने के लिए और ख़ुशी बाँटने के लिए करना
कल्पना से भी खूबसूरत प्रकृति से आज मैंने मित्रता कर ली।

वन्दना सूद(एहसास रमेश खन्ना)




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

Vineet Garg said

Well said mam

वन्दना सूद replied

शुक्रिया 🙏😊

रीना कुमारी प्रजापत said

वंदना जी कभी कभी प्रकृति हमे वो सब सिखा देती हैं जो और कही सीखने को नहीं मिलता है बहुत खूबसूरत लिखा आपने

वन्दना सूद replied

बिल्कुल सही कहा आपने 😊प्रकृति बहुत कुछ सिखा देती है हमें

Ankush Gupta said

प्रकृति हमारी सबसे अच्छी दोस्त है बहुत अच्छा कहा आपने

वन्दना सूद replied

शुक्रिया sir😊

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Pranam Mam..Bahut hi sundar abhivyakti..prakriti se mitrata m hi bhalayi hai sandesh bahut achha hai..

वन्दना सूद replied

प्रणाम तो ठीक है 🙏वैसे बता दूँ कि मैं अभी साठ से बहुत दूर हूँ 😂

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

आपका बहुत बहुत धन्यवाद प्रतिक्रिया पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए और प्रणाम स्वीकार करने के लिए 🙏🙏 - जानकर ख़ुशी हुयी Mam आप अभी ६० से बहुत दूर हैं लेकिन आपकी रचना का शीर्षक ["न जाने कब हो गए साठ साल के"] के बावजूद भी बहुत कुछ कहती है हर उम्र के व्यक्ति से और मेरा ऐसा कहना नहीं है कि प्रकृति से दोस्ती के लिए पहले ६० के होजाओ आपकी तरह ६० से पहले भी प्रकृति से दोस्ती की जा सकती है यहाँ तक कि बचपन से ही प्रकृति से दोस्ती रखनी चाहिए - आपकी रचना भी यही कहती है, "आपकी प्रतिक्रिया बहुत अच्छी लगी" आशीर्वाद बनाये रखें और इसी प्रकार जीवन में अपनी रचनाओं के माध्यम से संचार करते रहे 🙏🙏

वन्दना सूद replied

शुक्रिया 😊

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