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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मुस्कुरा लेता हूं

कापीराइट गजल

दिल करता है जब मेरा मैं मुस्कुरा लेता हूं
अब तन्हाई से महफिल, मैं सजा लेता हूं

उड़ने को मेरा मन, करता है जब कभी
तब खुशियों के नए पंख, मैं लगा लेता हूं

थक जाते हैं चलते-चलते, जब ये पांव मेरे
दीप आशा के वहीं पर, मैं जला लेता हूं

अंधेरों से पड़ा है, जब भी वास्ता ये मेरा
चांद तारों से रात अपनी, मैं सजा लेता हूँ

गुजरता हूं जब भी, मैं इन हंसी राहों से
इन राहों को कांटों से, मैं सजा लेता हूं

जब भी होती है ख्वाहिश चांद तारों की
इस जमीं पे आसमां को मैं बुला लेता हूं

लोगों की नजरों में तू, जिन्दा रहे यादव
अपनी महफिल में सबको मैं बुला लेता हूं

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

वाह! बहुत खूब, दिल छु गई,लाजवाब 👏🙏

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद सहित सुप्रभात मेरी प्यारी बहना।

विजय प्रकाश श्रीवास्तव said

बहुत सुन्दर रचना है . ये पंक्ति " जब भी होती है ख्वाहिश चांद तारों की,इस जमीं पे आसमां को मैं बुला लेता हूं" लाज़वाब है . बहुत खूब ..

Lekhram Yadav replied

आदरणीय विजय प्रकाश श्री वास्तव जी स्वागत है आपका मेरी इस हसीन मगर शायरी की छोटी सी दुनियां में। आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए आक्सीजन की तरह है, इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

वन्दना सूद said

थक जाते हैं चलते-चलते, जब ये पांव मेरे दीप आशा के वहीं पर, मैं जला लेता हूं 👏👏🙌🏻🙌🏻 हर एक पंक्ति पर वाह वाह करने को मन करता है

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद सहित नमस्कार वन्दना जी। अगर मोहब्बत की दुकान भाग-8 भी पढ़ लेते तो आपको पता चल जाता कि हमने एक मुक्तक आपके लिए लिखा है।

Bhushan Saahu said

Bahut sundar

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद सहित नमस्कार साहू जी।

कमलकांत घिरी said

वाह बहुत ही उम्दा 👌👌👏👏🙏

Lekhram Yadav replied

सुप्रभात कमलकांत भाई। आपकी प्रतिक्रिया मेरी मुस्कुराहट से ज्यादा महत्वपूर्ण है। हार्दिक प्रणाम स्वीकार कीजिए।

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