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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मुलाक़ात को तरसे - सुप्रिया साहू

एक याद को तरसे,
एक ख्वाब को तरसे
एक ऐसा इश्क़ रहा हमारा
तुझसे एक मुलाक़ात को तरसे...।।

- सुप्रिया साहू




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (8)

+

इक़बाल सिंह “राशा“ said

लाजवाब सुप्रिया जी
विरह ही सच्चा इश्क़ है

सुप्रिया साहू replied

बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद सर 🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

वन्दना सूद said

बहुत खूब 👏👏

सुप्रिया साहू replied

बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद मैम🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

ललित दाधीच said

मुलाकात होती ही ऐसी है तरस नहीं खाती, बहुत सुंदर शेर था, निरंतरता रखें।।💎💎

सुप्रिया साहू replied

बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद सर 🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

उपदेश कुमार शाक्यावार said

लाजवाब सुप्रिया जी .. सादर प्रणाम

सुप्रिया साहू replied

बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद सर 🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Tulsi patel said

हम भी तरस रहे है सुप्रिया जी आपसे मुलाकात को🤭

सुप्रिया साहू replied

आप date तो fix कीजिए हम भी आपसे मिल लेंगे, बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद तुलसी जी 🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

सुभाष कुमार यादव said

वाह!👌👌

सुप्रिया साहू replied

बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद सर 🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

रीना कुमारी प्रजापत said

Waah bahut khubsurat ishq hai ... Isha whi jo mulaqaat ko tarse👏👏bahut khoob

सुप्रिया साहू replied

इसलिए तो इसका नाम इश्क़ पड़ा है दीदू,बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद दीदू 🥰😊, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

क्या बात है! कमाल की तड़प और खामोश बेचैनी को लफ्ज़ों में पिरो दिया आपने…
हर पंक्ति दिल की धड़कनों को छू रही है, जैसे इश्क़ का अधूरा अफसाना बयां कर रही हो… 💔✨
बहुत खूब!
आदरणीय Mam, को सादर प्रणाम

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