हमेशा से सहयोग खुशी से तरबतर कर देता।
अनावश्यक उठे प्रश्नो के हल खोज कर देता।।
किसी आईने के सामने जब खुद को न देखो।
तब ऐसा हृदय जाने अनजाने वियोग भर देता।।
फ़ूलों की धरोहर सहेजने वाले भी व्यथित दिखे।
ऐसे मन में तमाम अपवाद शक-सुआ भर देता।।
तब तुम्हारा मौन इस रिक्तता में घुल-मिल जाता।
अवहेलना के स्पर्श से 'उपदेश' ज़ख्म भर देता।।
कोई हृदय हमेशा हिमालय तो नही बना रहता।
जीवन में विशेष स्वीकृतियों से प्यार भर देता।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद