गरीब बच्चों का श्राप
डॉ. एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
अरे ओ लालची, तूने हड़पा है, उन फूलों की पंखुड़ियों का रस,
जिनके खिलने से महकता, यह सारा ही था परिवेश सरस।
उनकी मासूम आँखों में झाँक, क्या तुझको दया न आई?
उनकी छोटी सी दुनिया को, तूने क्यों इतनी ठुकराई?
चुल्लू भर पानी भी तेरे लिए, अब तो नर्क का कुंड होगा,
उसमें डूबकर भी तेरा पापी तन, कभी न शुद्ध होगा।
तूने लूटी है उनकी हँसी, उनके खेलने की आज़ादी,
तेरी इस करतूत पर बरसेगी, हर तरफ से बर्बादी।
गरीबों के बच्चों का श्राप, तेरे पीछे-पीछे आएगा,
तू जहाँ भी जाएगा, बस दुख ही पाएगा।
तेरी धन की हवस तुझको, ले डूबेगी गहरे गर्त में,
तू कभी न पाएगा शांति, इस जीवन के किसी भी अर्थ में।
चुल्लू भर पानी में डूब मरो, ओ धूर्त, धिक्कार है तुझपर,
उनकी बद्दुआ की आग लगेगी, खाक हो जाएगा तू पल भर।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




