मुलाकात बासी हो गई फिर भी मौसम जागे।
मोहब्बत में चोट देकर यार निकल गये आगे।।
दिल पर नाज़ न करते तो क्या करते 'उपदेश'।
दिल हँस रहा पागल की तरह मन हवा में भागे।।
कुछ कहने का मन करे आमने समाने बैठकर।
नसीब में शामिल नहीं फोन करके नसीब जागे।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद