जान कर क्या करोगे मेरे बारे में।
ये दिल अटका रहा तेरे इशारे में।।
प्रेम रास आया आकाश के नीचे।
दिन में आनन्द लेते रहे चौबारे में।।
गले में बाहें डालकर वायदे किये।
कौन जाने खुशी गुजारी ख़सारे में।।
अनजाने में ही सही उर तोड़ा तूने।
पर कुछ यादें छोड़ गया गुजारे में।।
खामोशी से पाला बदला 'उपदेश'।
सजाये तारे भस्म बाहर के द्वारे में।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद