मेरी जनाज़ा में भीर मत लगाना ऐसे भी नई नस्ल की हवा ख़राब है
मिट्टी कब्र की तमीज़ खो न दे इसका लिहाज़ रखना मेरे अहले वतन
हमने अदब के साथ ज़िंदगी गुजारी है बहुत मुश्किल वक्त में भी
अब दिल उदास होगया है दाढ़ी टोपी और दिखावे की बुर्का देख कर
मेरी सब्र वो उदासी का सफ़र लम्बा नहीं कद छोटा है मेरा बड़ा नहीं होगा
दो तीन लोग काफ़ी होगें कब्र में रख देना जिन्हे मालूम होगा कब्र की हैसियत
वसी अहमद कादरी
वसी अहमद अंसारी
मुफक्किर ए कायनात
मुफक्किर ए मखलूकात
दरवेश ! लेखक ! पोशीदा शायर

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




