आज भी मर्द राजा है तो औरत नौकरानी है
हमारे यहां घर घर की यही तो एक कहानी है
हमेशा घर में मर्द शासन चलाता है
अपनी बीबी को कभी डांटता कभी झापड़ लगाता है
इसी डर से बेचारी औरत चुप चाप ही रहती है
चाहे जितनी पीड़ा हो कुछ भी नहीं कहती है
कभी सोहर को खाना खिलाती है
कभी गिलास में पानी पिलाती है
रात में घंटों उसकी पैर दबाती है
बेचारी आराम बिलकुल नहीं पाती है
सुबह सुबह उठ कर उसी के कपड़े धोती है
छुप छुप कर कभी वह बहुत रोती है
आज नारी पुरुष बराबर हैं ये तो सिर्फ बातों में है
असल में आज भी औरत तो पुरुष के नीचे लातों में है
असल में आज भी औरत तो पुरुष के नीचे लातों में है.......


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







