चुनाव आए ,
चौराहों पे हजूम ,
उत्सव जैसा !
चुनावी रेल ,
अंगारों की पटरी ,
ब्रेक न तेल !
चुनावी रैली ,
नोटों की फूंक देते ,
तिलस्मी थैली !
चुनावी खर्चा,
घालमेल की चर्चा ,
सियासी पर्चा !
कसमें वादे ,
डाल ऊपर पात,
निभाए कौन ?
✒️ राजेश कुमार कौशल