मोह के धागे से बंधे हैं, दिल के ये नाते सभी,
छूट भी जाएं तो रहते, रंग तो लाते सभी।
चुप हैं लब, पर आँख कहती है कहानी प्यार की,
एक लम्हा सौ साल जैसे, याद बन जाते सभी।
बेवफ़ा कहकर जिसे ठुकरा दिया था भीड़ ने,
उसके सदक़े आज तन्हा, दर्द सह जाते सभी।
धूप सी चाहत मिली जब, छाँव बन कर मैं जिया,
मिल न पाए जो सफ़र में, ख्वाब बन जाते सभी।
हर दुआ में नाम उसका, हर ग़ज़ल में ज़िक्र है,
जिनसे दिल टूटा था पहले, गीत बन जाते सभी।
तोड़ दे संसार चाहे, मोह के ये बंध क्यूँ टूटें,
इनसे जीवन के सुवासित रंग खिल जाते सभी।
"अंकुश" उस की याद में ही अब सजे हैं जश्न सब,
मोह के धागे जो बाँधे, फूल बन जाते सभी।