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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

मिट्टी में हिंदूस्तान की

इच्छा है अपने देश की
सौंधी मिट्टी बन जाऊं
पावस की हर बूंद के संग
पवन पवन में घुल जाऊं
कनक चुनरिया बन सरसों की
खेत खेत में बिछ जाऊं
तितली तितली भौंरे भौंरे
सबका मन मन ललचाऊं
जैसे लहराती हैं पौधे
हवा संग गेंहू धान की
उग जाऊं और नृत्य करूं
मिट्टी में हिंदूस्तान की

गंगा की पावन धारा की
बूंद बूंद से जुड़ जाऊं
जमुना की लहरों संग होकर
संगम दिशा में मुड़ जाऊं
सागर बनकर पांव पखारूं
अपने भारत माता की
हिमालय सा ताज बनूं
भारत भाग्य विधाता की
गाथा बनूं और गीत बनूं
वीरों की बलिदान की
कण कण मेरा मिल जाए
मिट्टी में हिंदूस्तान की

चहकूं भोर की पंछी बनकर
ढलती निशा से बात करूं
नाचूं गाऊं डाली डाली
उषा से मुलाकात करूं
तोता मैना मोर पपीहा
बन जंगल में राज करूं
निश्छल कोमल चंचल मन की
भावों की बरसात करूं
परमपिता हे जगतनियंता!
जब अंत हो मेरे प्राण की
तन-मन मेरा घुल जाए
मिट्टी में हिंदूस्तान की।


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (7)

+

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

कण कण मेरा मिल जाए!
मिट्टी में हिन्दुस्तान की!!
वाह! वाह! वाह! क्या बात है! देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत कविता! बेहतरीन! लाजवाब! बे-मिसाल! 👌👌👏👏

Lekhram Yadav said

वाह बहुत खूब, राष्ट्रीयता की भावना से ओतप्रोत एक नायाब रचना, आपको सादर नमस्कार सर।

वन्दना सूद said

हर पंक्ति देशभक्ति के रंग में रंगी है बहुत समय बाद ऐसा लेखन पढ़कर मन प्रसन्न हो गया 🙏🙏👏👏👌👌शुक्रिया आपका जो देशभक्ति की भावना को व्यक्त कर हमारे भी सोए हुए भाव जगा दिए 🙏🙏

सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर रचना, राष्ट्र के प्रति अगाध प्रेम और उस प्रेम की अभिव्यक्ति के लिए सुंदर उपमानों का अद्भुत प्रयोग। 👌👌🙏🙏

इक़बाल सिंह “राशा“ said

समदिल जी
आपकी यह कविता देशभक्ति की सुगंध से महकती है मिट्टी, नदियों, पर्वतों और पंछियों के माध्यम से भारत-प्रेम की अद्भुत तस्वीर उकेरी गई है। बहुत सुन्दर सर
शुप्रभात सहित सादर प्रणाम

श्रेयसी said

बहुत अच्छी भावना बहुत सुंदर लाज़वाब रचना 🙏🙏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

आदरणीय परवेज जी, आदरणीय लेखराम सर जी,आदरणीया वन्दना जी, आदरणीय सुभाष जी, आदरणीय इकबाल जी,आदरणीया श्रेयसी मेम, आपने मेरी रचना के भावों को महसूस किया ये मेरे लिए अनमोल, प्रेरणा दायी और गर्व की बात है।आप सभी को हृदय से धन्यवाद, आभार, नमस्कार 🙏🙏🙏🌹

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