इच्छा है अपने देश की
सौंधी मिट्टी बन जाऊं
पावस की हर बूंद के संग
पवन पवन में घुल जाऊं
कनक चुनरिया बन सरसों की
खेत खेत में बिछ जाऊं
तितली तितली भौंरे भौंरे
सबका मन मन ललचाऊं
जैसे लहराती हैं पौधे
हवा संग गेंहू धान की
उग जाऊं और नृत्य करूं
मिट्टी में हिंदूस्तान की
गंगा की पावन धारा की
बूंद बूंद से जुड़ जाऊं
जमुना की लहरों संग होकर
संगम दिशा में मुड़ जाऊं
सागर बनकर पांव पखारूं
अपने भारत माता की
हिमालय सा ताज बनूं
भारत भाग्य विधाता की
गाथा बनूं और गीत बनूं
वीरों की बलिदान की
कण कण मेरा मिल जाए
मिट्टी में हिंदूस्तान की
चहकूं भोर की पंछी बनकर
ढलती निशा से बात करूं
नाचूं गाऊं डाली डाली
उषा से मुलाकात करूं
तोता मैना मोर पपीहा
बन जंगल में राज करूं
निश्छल कोमल चंचल मन की
भावों की बरसात करूं
परमपिता हे जगतनियंता!
जब अंत हो मेरे प्राण की
तन-मन मेरा घुल जाए
मिट्टी में हिंदूस्तान की।
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




