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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मेरे शब्द - गीतिका पंत

आज शब्दों की कलम को
एहसास की स्याही में डुबाकर
उसे कागजों पर उकेरा
तो जाना कि जैसे शब्द
कही टूट से गए हैं,,
जाने क्यों शब्दों को
महसूस करना कुछ थम सा गया है
अब शब्दों से नही
कुछ उलझनों से एहसास भर गए हैं
जिनको महसूस करना अब बोझ सा लगने लगा है
पहले शब्द गुदगुदाते थे,
अब सिर्फ खामोश कर जाते हैं,,
जाने क्यों अब शब्द, दर्द देने लगे हैं
कभी शब्दो से दोस्ती करके
उन्हे कागज पर,, एक ऐसे
अहसास को दिल में भरकर,, उकेरा जाता था
कि उन्हे लिखते, होंठ मुस्कुरा उठते थे,
लेकिन अब उन मुस्कुराहटो को
शब्द चुभने लगे हैं,,जाने वो शब्द
कही खो गए हैं,,जो हंसाया करते थे,
अब ना तो शब्दो में एहसास के रंग पिरोए जाते है
और ना उन्हे कागज पर उकेरा जाता है,,
क्योंकि जब खुदकी कलम
अपने एहसास से भरे, शब्दों को भूल जाए
तो शब्दो को कितना भी खूबसूरत बनाकर उकेरो
वो बेजान ही लगते हैं,,
क्योंकि एहसास का तो नाम ही शब्द है,,
शब्दो के बिना कुछ महसूस हो
ये मुमकिन ही कहा है
पर ये भी सच है कि शब्दो के टूटने पर
एहसास भी खतम हो जाते है
और एहसास में डूबी वो कलम भी, टूट जाती है,,
क्योंकि शब्द किसी के, अपने नही
ये जिसके होठों पर मुस्कुराहट ले आए, उसके लिए खुशी
और जिसके दिल को जख्मी कर गए,,
उसके लिए सिर्फ, नासूर बन जाते है,,

----गीतिका पंत




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

रूपक और उपमा अलंकार का सुंदर प्रयोग खूबसूरत रचना

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