मेरे कुछ अजनबी दोस्त
सुबह की चाय पर कुछ नए रिश्ते बने
कुछ नए दोस्त मेरी ज़िन्दगी में जुड़े
जो दोस्ती का मतलब भी नहीं जानते
फिर भी दोस्ती निभाने रोज़ चले आते हैं
चेहरे पर मीठी सी मुस्कान लिए
जीने की वजह दे जाते हैं
धीरे से कानों में कह जाते हैं
रुकना नहीं ,थकना नहीं ,वक़्त नहीं है
चल उड़ान भर अपने सपनों की
मुझे भी हर सुबह अपने दोस्तों का इंतज़ार रहता है
जो ऊँची उड़ान लिए आसमान की गहराइयाँ नापते हैं
कितनों का होंसला बढ़ाने आते हैं
एहसान करके भी एहसास नहीं दिलाते हैं
ऐसे हैं कल्पना के कुछ मेरे अजनबी दोस्त ॥
वन्दना सूद