न जाने क्यों?
बार बार मां के
मारने
डांटने
समझाने
के बाद भी
पांव स्वयं
रुक जाता था
खिंच जाता था
स्कूल की राह से।
न जाने क्या?
सहमति थी
पांव और मन के बीच
न पांव बढ़ा
न मन लगा।
न जाने क्यों?
मन अनपढ़ रहकर भी
जुगाड़ से
जीवन जीना
बड़ी-बड़ी बातें करना
सीख लिया,
और आज मैं
अनपढ़ हूॅं
लोगों को लड़ाता हूॅं
दंगा कराता हूॅं
झूंठ बोलता हूॅं
नफ़रत फैलाता हूॅं
घोटाला करता हूॅं
जिम्मेदार हूॅं
बलात्कार का
अत्याचार का
दंगे फसाद का
हत्या दुराचार का
बाज नहीं आता हूॅं
कोई भी खेल खेलने में
कुर्सी के लिए
और आज मैं
अधिकारियों
विद्वानों
समझदारों का विजेता हूॅं
क्यों कि मैं नेता हूॅं।
रचनाकार
रामवृक्ष बहादुरपुरी
अम्बेडकरनगर उत्तर प्रदेश

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




