तू न कर वकालत मेरे दिल की अदालत पे, यूँ मरहम न लगा तेरे दिए हुए घावों पे...।
यूँ शक़ न कर मेरी ईमानदारी पे,
खुद होकर बेइमान मुझे न सिखा ईमानदारी रे...।
यूँ बदल मत लाखों चेहरे,
बदल सकता है तो बदल अपनी किस्मत..।
यूँ न लगा किसी पे नजर कि,
भोगना पड़े तुझे दुनियादारी रे...।
यूँ न कर वकालत मेरे दिल की अदालत पे....।।
- सुप्रिया साहू