जब कभी मैं तुम्हारे पास आऊँ ..
अपने कंधे से सारे बोझ को हटा देना..
देना अपने कंधे का सहारा..
मेरे सुकून को आशियाना सुहाना देना..
कुछ पूछना नहीं, ना कुछ बताना..
उन खामोश लम्हों को, सीने से लग कर बिताना..
जताना अपनी मोहब्बत..
तो अपने हाथों से मेरा सिर सहलाना..
फिर छेड़ना मेरी जुल्फों को,
किस्सा कोई पुराना सुनाना..
मैं सब बाँट लूंगी तुम्हारे ग़म 'उपदेश'..
मेरा सुकुन तुमसे है, तुम अपना कंधा ना हिलाना..
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद