एक सपना हमने पाला था ,
धीरे- धीरे जो सोचा था ,
उत्कर्ष करे हम सब मिलकर
ये ख्वाब जो हमने पाला था ,
माँ की थाली कर्नावत हो गई
एक हशीना दिल में घुस गई ,
don't care से केअर जो हो गइ
जाने कैसे मन में चुभ गई
भवरकुआ मे भोलाराम का ,
पेंशन से ना पाला था
एक ख्वाब जो हमने पाला था
इश्क बढ़ा जब चाय से हमको ,
99 एक मंजिल बन गयी ,
पीटी मेन्स तो साथ चल रहे
Interview दे डाला था l
एक ख्वाब जो हमने पाला था l
परिवर्तन की धारा उमड़ी ,
नैतिकता के पाठ पढ़े जब ,
भाव शून्य एक साथ लगे सब ,
शंकर के सिद्धांत दिखे जब l
जिन सपनों में हम खोये थे
एक साथ झकझोरा था l
एक ख्वाब जो हमने पाला था
रीजनल पार्क में बैठे बैठे ,
खोए खोए हमने देखा
कैसी कैसी जीवन लीला
कभी न जिनसे पाला था
वो सब भी हमने देखा था
जो ख्वाब दिलो में पाला था
नोट्स बनाए कितने हमने
उल्झे -उल्झे धाराओ मे ,
दृष्टि उत्कर्ष निर्माण को सोचे
एकजुट होकर जबभी बैठे
संसय से मन विहला था
एक ख्वाब जो सबने पाला था
उत्तर लेखन खूब किया फिर
तुक्के का अभ्यास भी जमके
एक दिना वो नीली आंखे ,
नोट्स को जब खंगाला था
दो शब्दों से किया बडाई
नोट्स लिया करने को पढाई
एक सपने में फिर डाला था
एक ख्वाब जो दिल में पाला था l
खाने को भंडारे देखे
गली- गली और चौराहे में
गणपति हो या नवरात्रि हो
ख़ुशी से मन फिर झूमा था
हाथो मे दोने या पत्तल
मन मे तो हम डिप्टी कलेक्टर
ऐसा प्यारा जीवन था
एक ख्वाब जो हमने पाला था l
रातो रातो हम जब उल्झे ,
तर्क जटिल हमसे न सुलझे,
अगले दिन प्यारे गुरुवो ने
हंस -हंस के समझाया था
एक ख्वाब जो दिल में पाला था
मूल्यो के उस जटिल युद्ध में
पिछली अभिवृत्ति संचय में
कोमल मन जब बिखरा था ,
साहस देकर तब गुरुवो ने
सपनों को साकारा था
एक ख्वाब जो दिल में पाला था
तेज प्रकाश पांडे ✍️लिखित