सजा दो ऐसी, शैतानों की रूह भी कांप उठे।
जिंदा तो रहे, मौत को तरसता ही रहे।
बेरहम, बेदर्दी , दुष्ट और नीच,
घिन आती है ,घिनोनी तेरी करतूत।
कोई भी रहम ना खाए, ऐसे शैतानों पर।
पुरानी वाली सजा, जमीन में आधा गड़ा।
गले में ,एक जूता टांग दो।
रास्ते से गुजरे जो, चार-चार फटकार दो।
फिर ये ऐलान हो, जो भी शैतान हो।
मिटा दो नामो -निशा, चाहे कोई हैवान हो।