🌺कागभुशुण्डि 🌺
जाने कहां से कौवे आये
कांव कांव का शोर मचाये
चहुं दिशा में उड़ता जाए
नाम कागभुशुण्डि कहाए
बंजारे की भांति फिरता जाएं
नाम काग और रंग भी कारा
उस पर यह कर्कश आवाज
कैसे किसी के मन को भाये
सृष्टा ने कौवे है बनायें जो
शनिदेव की सवारी कहाये
देवता मान पूजे जायें
मुंडेर पर उसकी कांव कांव
प्रियजन के आगमन का
संदेशा देते जाएं
जब श्राद्ध पक्ष आये
पूर्वजों का प्रतिनिधि बन
तर्पण करवा भोजन पाये
जाने कहां से कौवे आये
कांव कांव का शोर मचाये
नाम कागभुशुण्डि कहाए
मौलिक रचना
✍️#अर्पिता पांडेय