किसे मालूम है भला कौन सा गुल किस चमन से है
आज बहती शीतल यह ताजा हवा किस वतन से है
उदासियों का यह सिला खुद बखुद बिखर जायेगा
दिल में उठती लहर का नाता खुशी और अमन से है
हर किसी का भरोसा आजकल तो हो गया चूर चूर
क़त्ल फरेब का रिश्ता जो हंसी मासूम शक़ल से है
चमन में बहार आएँगी तो गुल सारे खिल जायेंगे पर
इन्हें पता है बिछुड़ना अब सबको अपने सजर से है
दास अच्छा होता कोई कभी ना किसी से बिछड़ता
रूठकर जानेवाला फिर मिलता बड़ी मुश्किल से है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




