चेहरे में क्या रखा ये कहने वाले बदल गए।
प्यार के बावजूद किस तरह हम छले गए।।
उनकी खुशबू मर गई पहले जैसी नही रही।
जवानी के दिन गुज़रे मसखरी में छले गए।।
मेरे दिल की खिड़की बन्द पडी है बरसों से।
पुकारे भी तो किसको ऐतबार में छले गए।।
खेत खलिहान जैसे थे वैसे ही लहलहा रहे।
बगिया सारी उजड़ गई तस्करी में छले गए।।
गाँव की आबोहवा आज भी पसन्द 'उपदेश'।
भोले भाले हम और भोले चेहरे में छले गए।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




