चलो जरा, थोड़ी सी, खुशी ढूंढ लें
चेहरे की मुस्कुराहट, होंठों की हंसी ढूंढ लें
वक्त का वो पल, जो, सिर्फ हमारी मुट्ठी में है
बस,उतने ही पल में, नगमा -ए-जिंदगी ढूंढ लें
सुरों से सराबोर है, धरती, नदियां, हवाएं
जरा, इन्हीं नजारों में, मौसिकी ढूंढ लें
सितारों की चमक, चांद की चांदनी, हमीं से है
चलो पांवों के नीचे, अपनी जमीं ढूंढ लें
धाराएं बहती हैं, हिमालय से समंदर तक
चलो, इन्हीं धाराओं की, भागीरथी ढूंढ लें।
सर्वाधिकार अधीन है