हम रिंदों से क्या पूछते हो उसका पता ?
हमने तो खुद अपना मकां वहां बना डाला
जहां न आता हो कोई परिंदा।
मुझ राहगीर से क्या पूछते हो उसका पता ?
मैं तो खुद मुंतज़िर हूॅं इस राह में
अपने मुंतज़र का।
पूछना है तो पूछना हमसे तो मैख़ाने का पता,
और पूछना कुछ यूं जैसे पूछता हो कोई
जन्नत का पता।
मुझ नाचीज़ से क्या पूछते हो उसका पता ?
मैं तो खुद इस दुनियादारी से हूॅं जुदा -जुदा
मुझ नादान से क्या पूछते हो उसका पता ?
मैं तो खुद अपनी नाज़नीन से हूॅं ख़फ़ा - ख़फ़ा।
पूछना है तो पूछना हमसे तो मैख़ाने का पता,
और पूछना कुछ यूं जैसे पूछता हो कोई
जन्नत का पता।
मुझ कमबख़्त से क्या पूछते हो उसका पता ?
मैंने तो खुद उजाड़ा है अपना जहां।
मुझ बेखबर से क्या पूछते हो उसका पता ?
मुझे तो खुद का ही नहीं मालूम कि
मैं हूॅं कहां।
पूछना है तो पूछना हमसे तो मैख़ाने का पता,
और पूछना कुछ यूं जैसे पूछता हो कोई
जन्नत का पता।
मुझ शायर से क्या पूछते हो उसका पता ?
मुझे तो खुद नहीं मालूम अपनी शायरा का पता।
मुझ मुंतशिर से क्या पूछते हो उसका पता ?
मैं तो खुद अपनी शायरा की जुदाई में रहता हूॅं
बिखरा - बिखरा।
पूछना है तो पूछना हमसे तो मैख़ाने का पता ,
और पूछना कुछ यूं जैसे पूछता हो कोई
जन्नत का पता।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




