रघुनाथ और रघुराई
जिन्होने मर्यादा बनाई
मुसीबत उन पर भी आयी
पर मर्यादा उन्हे त्याग ना पायी
राज्याभिषेक की बेला जब
माता कैकेई की बुद्धि चकराई
दशरथ से वन गमन की आज्ञा दिलवाई
लक्ष्मण संग बन को चले रघुराई
माँ सिया भी साथ निभाने आयी
मर्यादा उन्हे त्याग ना पायी
वन मे सूपर्नखा राक्षसी आयी
सिया हरण की योजना बनायी
सिया हर ले गया राक्षस राज़ रावण
जो था सूपर्नखा का बड़ा भाई
कैसी विपदा रघुनाथ पर आयी
पर मर्यादा उन्हे त्याग ना पायी
वानर संग ले रघुनाथ ने
लंकाराज़ से की लड़ाई
सिया लिए छुड़ाई
सब संग अयोध्या लौटे रघुराई
राम राज़ की शुभ घड़ी आयी
वनवास की पीड़ा राम संग
सिया ने भी थी निभायी
पर विधना को दया नही आयी
परीक्षा वेदी फ़िर दिय सजायी
मान प्रजा की कुटिल ताई
सिया वन भेज दिय रघुराई
क्या मर्यादा रघुवर ने निभाई
स्वयं महल और सिया वन पठायी
सिया ने नारी होने की सजा पायी
बाल्मीकि की बिटिया बनी
लव कुश की जननी कहलायी
पुन:राम सिया के मिलन की घड़िया आयी
रघुनाथ ने जनता समक्ष
फ़िर सिया की परीक्षा करायी
कैसी यह मर्यादा बनायी
नारी ही परीक्षा वेदी पर जाये चढ़ाई
ले निर्णय फ़िर कठोर सब त्याग
माँ सिया धरती मे समायी
काहे सिया ने सही पीर परायी
हा! विधाता कैसी यह रीति बनायी
मर्यादा पर सीता की ही बलि दी चढ़ाई
वाह रे रघुनाथ और उनकी रघुराई
मर्यादा उन्हे त्याग ना पायी
अर्पिता पांडेय
मौलिक रचना