मर्जी उन्हीं की चलती अब चलते नही।
याद आते हैं मगर सपनों में आते नही।।
दिल पुकारता मगर उम्मीद नही लगती।
बेमुरव्वत लगते इधर कदम उठाते नही।।
पीछे पकड़ना गले लगाना पुरानी बाते।
उन बातों के लिए हम आँसू बहाते नही।।
दिल जलाते रहने की मजबूरी रही होगी।
रिश्ता है मजबूत 'उपदेश' अपनाते नही।।
ख्वाहिशें झाँकती बेवजह मजबूर बहुत।
सुबह हो जाती ख्वाब में भी बुलाते नही।।
उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




