आपको ही हमने अपनी खुशी की वजह
बना रखा है,
तभी तो ग़म में भी खिले -खिले रहते हैं।
कभी आपकी तस्वीर देखते हैं,
तो कभी आपकी बातों को याद करते हैं।
कई दिन बीत गये कोई ख़बर नहीं आपकी,
तो अब फ़िक्र में आपकी हम ग़ज़लें लिखते हैं।
कभी बड़े मायूस हो जाते हैं,
कभी यहाॅं - वहाॅं आपको ढूॅंढने लगते हैं।
कोई जरिया नहीं आपकी ख़बर लेने का,
तो आसमाॅं में टिमटिमाते तारों से ही
आपकी ख़ैरियत पूछते हैं।
कभी राह तकते आपकी,
तो कभी ख़ुद को तन्हा कर लेते हैं।
•••रीना कुमारी प्रजापत 🖋️