खटते खटते वह मर जाता
कभी नहीं एहसान जताता
कभी नहीं कहता तुम्हारे लिए
कमाया।
बड़ा हीं शुकून उसका साया
कठोर बदन कोमल काया
फिरभी उसपर किसी को
तरस ना आया।
सबने उसका उल्लू बनाया।
गले लग कर गला दबाया।
क्या बीबी क्या बच्चा
क्या रिश्ते नाते रिश्तेदार
बात बात पर बदलते व्यवहार
नफरतें शाजिशें तोहमतों का भंडार
ढ़ेर सारे अत्याचार
क्या करे एक मर्द
कैसे सहे अपनों का ऐसा
तिरस्कार।
वह औरत नहीं जो रो ले ।
मां बाप से लिपटकर दिल को खोल ले।
वह तो जन्म से हीं अकेला है।
दुनियां का दुःख अकेले झेला है।
क्या रिश्तेदार पास पड़ोसी
दोस्त यार सब करते रहे वक्त बे वक्त
वार पे वार।
पर तू लड़का है सबने यही कहकर
भागा दिया।
एक मर्द को दुनियां के शोलों ने
पत्थर का बना दिया।
इसलिए मर्द जिसमें भी है दर्द
हर दर्द को सहना सिख लिया
बीवी के ताने
बच्चों के बहाने
मां बाप के फसाने
सुनते सुनते एक दिन
टूट कर बिखर गया
इस पे भी जब लोगो का
जी नहीं भरा तो कहने लगे
अच्छा हुआ की मर गया..
अच्छा हुआ की मर गया...