हम छुप - छुप कर देख रहे थे उन्हें,
कि कब से उनकी नज़रें हम ही को
ढूंढे जा रही थी।
फिर यूं अचानक सामने आ खड़े हुए हम उनके,
और उनकी नज़रें शर्म से झुक गई थी।
हम छुप - छुप कर देख उन्हें महसूस कर रहे थे,
कि कब से उनकी धड़कने
हमे उनके क़रीब पाने को
अपना सब्र खोए जा रही थी।
फिर यूं अचानक सामने आ खड़े हुए हम उनके,
और उनकी धड़कने थम सी गई थी।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️