मन्दिर में तेरह-चौदह वर्ष का एक बच्चा देखा
व्हील चेयर पर उसको बैठे देखा
साथ में थे उसके मम्मी पापा और एक भाई
न जाने क्यों देखकर उसको मन भावुक हो आया
मन है ही ऐसा कि सोच पर इसके कोई पाबंद नहीं
एक माता पिता कैसे उम्रभर अपने हर बच्चे का साथ निभा जाते हैं
और हम बच्चे कैसे बड़े होकर अपने माता पिता को बोझ समझ लेते हैं
शायद रिश्ता भावनाओं का नहीं,रिश्ता रिश्ते का ही मोहताज है
जो अपने बच्चों के लिए दिखता है पर अपने माता पिता के लिए नहीं दिखता है ।
वन्दना सूद