मृगतृष्णा
डॉ एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात "
चमकती दुनिया,
झूठे सपने दिखाती,
भोग-विलास की चाह,
मन को भटकाती।
सोने की थाल में,
कड़वा सच छुपा है,
हर सुख की कीमत,
अंत में रुलाती है।
महंगी गाड़ियाँ,
ऊंचे महल,
क्या पाओगे?
अंदर की शांति को,
कहाँ से लाओगे?
दिखावे की दुनिया,
खोखलापन भरती,
सच्ची खुशी की तलाश,
भटकती रहती।
तृष्णा की आग में,
जलता है हर मन,
सादा जीवन ही,
देता है असली धन।
माया के जाल से,
खुद को बचा लो,
सत्य की राह पर,
अपना जीवन सजा लो।