मानव का हर रूप
शिवानी जैन एडवोकेटbyss
नहीं ऊँचा कोई, नहीं नीचा,
मानव का हर रूप है सच्चा।
सबके भीतर है एक ही ज्योति,
प्रेम से करो दिलों की खेती।
अधिकार सबका हो बराबर,
न्याय की हो सबकी डगर।
शोषण का कहीं न हो नाम,
समता से रोशन हो हर धाम।
दया का सागर लहराओ तुम,
करुणा की वर्षा बरसाओ तुम।
मिलजुल कर जीवन बिताओ,
प्रेम का ही बंधन बनाओ।
मानवता की यही पुकार,
प्यार से बदले ये संसार।