क्यों इतने नस्तर चुभाता है जमाना,
इंसान का ही काम है क्यों दिल को दुखाना।
भाई ने भाई की पीठ में खंजर है यँहा घोंपा,
गैर नहीं, अपने भी दे देते हैं धोखा।
भगवान! तुम फिर से एक नया संसार रचाना,
जहां फूल बनाना — कांटे ना बनाना।
जहां प्यार बनाना — नफ़रत ना बनाना।
सब अपने बनाना — कोई पराया ना बनाना।
यदि ऐसे सुखद संसार की ना कर पाओ तुम रचना,
तब मुझको इस संसार का प्राणी ना बनाना।
अपने ही ह्रदय का दे देना कोई कोना,
अपने चरणों की धूल का एक कण बना देना।
जिन चरणों में मैं जनमु, उनमें ही समा जाऊँ,
जो सुख तुम पाओ — उसे मैं भी पा जाऊँ।
जो सुख तुम पाओ — उसे मैं भी पा जाऊँ।
सरिता पाठक

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




