चांद पूनम का हमसे खफा हो गया
जिंदगी में अंधेरा सा क्या हो गया
अब सितारों की महफ़िल तो महफ़िल नहीं
अब तो सीने में लगता है कोई दिल नहीं
रास्ते भी नहीं और मंजिल नहीं
अब तो जीना हमारा सजा हो गया.….
अब तो फूलों की खुशबू सुहाती नहीं
मन को शबनम की बूंदें नहलाती नहीं
चैन मिलता नहीं नींद आती नहीं
दर्द लेने का अब तो नशा हो गया......
धूप सोने सा अब ना न्यारा लगे
गीत भौरों का अब ना प्यारा लगे
सब किनारा लगे बेसहारा लगे
ये अजब सा गजब सा माजरा हो गया......
जिंदगी में अंधेरा सा क्या हो गया।
सर्वाधिकार अधीन है