टूटा हुआ सितारा आँचल कभी जगमगा नहीं सकता,
लाख मिन्नतें करो आसमांँ से भी आ नहीं सकता।
किसी की दास्ताँ सुनकर अपनी लगी तो मैं रोई बहुत,
लगा हो चुकी प्रबल अब मुझे कोई शय रुला नहीं सकता।
रात भर बरसती रही रिमझिम बूँदे मगर पता था,
बारिश का पानी भी मन मेरा भीगा नहीं सकता।
पकड़ी थी कसकर उम्मीदों की शजर को अब कोई थपेड़ा भी,
मुझको हीला नहीं सकता।
मैंने अपनी पूरी ज़िदगी कुर्बान की जिसके लिए अब वो प्यार,
मुझे कभी मुस्कुरा नहीं सकता।