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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मन मेरा भीगा नहीं सकता।

टूटा हुआ सितारा आँचल कभी जगमगा नहीं सकता,
लाख मिन्नतें करो आसमांँ से भी आ नहीं सकता।

किसी की दास्ताँ सुनकर अपनी लगी तो मैं रोई बहुत,
लगा हो चुकी प्रबल अब मुझे कोई शय रुला नहीं सकता।

रात भर बरसती रही रिमझिम बूँदे मगर पता था,
बारिश का पानी भी मन मेरा भीगा नहीं सकता।

पकड़ी थी कसकर उम्मीदों की शजर को अब कोई थपेड़ा भी,
मुझको हीला नहीं सकता।

मैंने अपनी पूरी ज़िदगी कुर्बान की जिसके लिए अब वो प्यार,
मुझे कभी मुस्कुरा नहीं सकता।




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

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Updesh Kumar Shakyawar said

वाह...बेहतरीन ग़ज़ल

Lekhram Yadav said

बेहद खूबसूरत रचना, आपको सादर नमस्कार

Supriya sahu said

वाह....! क्या बात है, बहुत सुंदर रचना मैम 👌😊, आपको सादर प्रणाम 🙏।

वन्दना सूद said

रचना बेहद खूबसूरत है पर दिल कहना चाहता है कि उन गलियों में जाना ही क्यों जहाँ अब ठिकाना मिल नहीं सकता ।

श्रेयसी said

सही कहा आपने 🙏🙏

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