छल से करते हो वार,
तुम क्या मुँह दिखलाओगे,
अपने कर्मों के कारण,
सबसे कायर कहलाओगे,
कर लो जोर आजमाइश,
सदा मुँह की खाओगे,
घावों पर रगड़ रहे नमक,
ये शीश न झुका पाओगे,
बह जाए शिराओं से लहू धार,
मुझे न कभी मार पाओगे,
मैं वो विचार ज्वाला हूँ,
जिसमें तुम सब जल जाओगे।
🖊️सुभाष कुमार यादव