शरीर का एक अहम हिस्सा
जिससे बढ़ती तन की शोभा
गजब है काया तेरी माया
छोटे से छोटे दर्द को तूँ महसूस करता
पर... उसके दर्द को समझ न पाता
बड़ी क्रूरता होती फिर भी
आह न उसकी निकलती
काटा जाता तोड़ा और मरोड़ा जाता
कभी-कभार जड़ से खींचा जाता
फिर भी सब भूल फिर से जिंदा हो जाता
अरे ओ काया ए क्या? तूने उसे न चाहा
तेरा ही अंश और अहम वो हिस्सा
हलचल उसकी तूं क्यों न जाने
हवा का झोंका भी उसे संवारे
तूँ समझ सुन उसकी आहे......
वो................ तेरी शोभा बढ़ाए