कब आओगी तुम ?
ढेर सारा प्यार इंतजार है तेरे लिए
लम्हा गुजरता ही नहीं
जहाँ तेरे पांव की आवाज न सुने
तेरी आहट न सुने
घर भी बेघर होने लगे
जब तुम घर में थी
तब कुछ खास चलती रही थी
पर अब काश ही काश चलता रहा
जब तुम आती हो
घर में तीन दिन की दिवाली आती है
जब तुम जाती हो
हम सबके मन को झोली में डालकर ले जाती हो ॥


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







