मन चंचल मेरा उसको पसन्द बहुत।
सब जानता करता रहता द्वंद बहुत।।
कदम जमीन पर मन आसमान में।
तारो सितारो के बीच मत-भेद बहुत।।
कुछ सपने मरुस्थल की मरीचिका में।
भटक रहे 'उपदेश' अन्तर्द्वन्द बहुत।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद
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कदम जमीन पर मन आसमान में।
तारो सितारो के बीच मत-भेद बहुत।।
कुछ सपने मरुस्थल की मरीचिका में।
भटक रहे 'उपदेश' अन्तर्द्वन्द बहुत।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद