तपती लू के थपेड़ों के बीच,
शिवपूजन की भागती साइकिल,
पसीनो से लथपथ,
पो-पो हार्न बजाते,
चेहरे पर मुस्कुराहट बरकरार,
रंग-बिरंगी मलाई बर्फ,
खरीदने की होड़ थी,
किसी होठ लाल,
तो किसी के जीभ हरा,
मलाई बर्फ चूसने के बाद,
ऐसे वाक्या आम थी,
पांच पैसे से लेकर पच्चीस पैसे तक,
पैसे न होते थे तो स्क्रैप हीं सही,
स्क्रैप न सही तो अनाज ही सही,
कुछ भी न हो तो मुफ्त में दे देते थे,
रंग बिरंगी मलाई बर्फ.......!!!!!
#संजय श्रीवास्तव