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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मैं नारी हूं।

आकार ले रही हूं।
विस्तार ले रही हूं।।
मैं नारी हूं।
साकार ले रही हूं।।

विचार बन रही हूं।
संस्कार दे रही हूं।।
मैं नारी हुं।
आवाज बन रही हूं।।

दुर्गा,चण्डी,काली हूं।
मैं भी अब शक्तिशाली हूं।।
मैं नारी हूं।
दृढ़ इच्छाशक्ति वाली हूं।।

मैं देव शक्ति हूं।
मैं देव भक्ति हूं।।
मैं नारी हूं।
मैं सौंदर्य की अभिव्यक्ति हूं।।

श्रृंगार भी करती हूं।
मैं संघार भी करती हूं।।
मैं नारी हूं।
मैं यथार्थ में रहती हूं।।

तुच्छ नही मैं श्रेष्ठ हूं।
गृह नहीं मैं देश हूं।।
मैं नारी हूं।
शक्ति का मैं समावेश हूं।।

मैं जननी हूं।
दुःख हरनी हूं।।
मैं नारी हूं।
सदियों से मैं ज़ख्मी हूं।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ










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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

अनुष्का सिंह said

वाकई बहुत खूब लिखा 👏👏

ताज मोहम्मद replied

आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए बहुत उत्साह वर्धक है। आपका ह्रदय से धन्यवाद।

फ़िज़ा said

वाह जनाब बहुत खूब क़ाबिले तारीफ उम्दा लिखा

ताज मोहम्मद replied

आप जैसे लोगो की प्रतिक्रिया ही है जो मुझे लिखने के लिए प्रेरित करती है। बहुत बहुत शुक्रिया आपका।

Arpita pandey said

Appne meri poem ka hi title le liya h isi tarah betiya bhi

ताज मोहम्मद replied

कौन सी poem ka mujhe नहीं मालूम पर ऐसा है तो मेरी गलती है। माफ करें मुझे।

वन्दना सूद said

क्या बात है sir😊 नारी की बहुत खूब व्याख्या की है आपने

ताज मोहम्मद replied

शुक्रिया मैम।

Sanjay Srivastva said

नारी हूँ, बेजोड़ व्यख्यां 👌

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