कापीराइट गजल
मैं गया साल हूं कल, चला जाऊंगा
साल तोहफे में नया, मैं दे जाऊंगा
सुख-दुख में भी हम, साथ-साथ चले
हो के मजबूर यहां से, मैं चला जाऊंगा
वादे किए जो तुम से, वो निभाए मैंने
आज वादा न कोई, मैं निभा पाऊंगा
बांटे हैं साथ-साथ, गम और खुशियां
आज के बाद नजर, मैं नहीं आऊंगा
उड़ान दी है तुम्हारे, हौंसलों को मैंने
कल ये हौंसले बढ़ाने, मैं नहीं आऊंगा
तू यह खता भी मेरी, माफ कर देना
तुम्हें जगाने के लिए, मैं नहीं आऊंगा
मेरे जाने से तुझे, दुख न हो यादव
नए साल से पहले, मैं चला जाऊंगा
बाय - बाय, 2024
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है