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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मैं वहीं खड़ा मिलूंगा..

है याद तुझे या भूल गई।
बचपन का प्यार हमारा था।
तेरे बिना मेरा और मेरा बिना तुम्हारा
नहीं कहीं गुज़ारा था।
अभी भी हैं वहीं रास्ते।
वहीं नुक्कड़
चाय की चुक्कड़।
वही पीपल
छांव शीतल ।
सुनहरी दोपहरी।
स्कूल की घंटी ।
हरे भरे खेत
टेंढी मेंढी पगडंडी।
वही पुराना माता
का मंदिर।
वही कुआं
जंजीर वही लंबी।
वही पहाड़
जो है गगनचुंबी।
वही बैलों की घुंघरू।
नाचते हम तुम बन
झूम झूम झुमरू।
है याद की तुम भूल गई
की किसी और के सपनों में खो गई।
है यकीं मुझे तुम्हें भी सब
याद होगा।
मोहब्बत के लिए दिल में
आग होगा।
मेरे लिए भी राग होगा।
उबल रहा जज़्बात होगा।
तो तू एक बार इशारा कर देना।
हूं मैं खड़ा उसी मोड़ पर
जहां से तुमने राहें अपनी मोड़ी थीं।
जहां पर साथ मेरा छोड़ी थीं।
अब मुड़ के देख लेना
मैं वहीं खड़ा मिलूंगा...
मैं वहीं खड़ा मिलूंगा...




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

Bacpan ke din yaad dila diye, bahut khub

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Waah waah se gaane par bahut hi maza aaya ek gaane ki tarah ya rap song ki tarah dono hi tarah se khoobsoorat

Komal Raju said

Sach m ek rap ki tarah lag rha ha or bachpan ke pyar ki yad dilata ha. Bahut bdiya.

Tulsi patel said

पुरानी यादें 🥰

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