कविता : मैं किसान....
कर्जा ले कर खेत में
खाद डाला आलू लगाया
सारा का सारा
आलू चींटियों ने खाया
फिर कर्जा ही ले कर
खेत पर गेहूं बोया
वह भी न होया ये
देख मैं बहुत रोया
अब मैं किसान कुछ
करो उद्धार
जिऊं कि मरूं क्या
करूं सरकार ?
जिऊं कि मरूं क्या
करूं सरकार.......?