मैं लिखती हूँ वही जो दिल पर गुज़रती है
कल्पित कहानी मुझे आकर्षित नहीं करती है
चाहती हूँ कहीं किसी वादियों में मन बहल जाए
चाहे जाऊंँ जिधर भी होंठों पे हंँसी कुछ देर हीं ठहरती है
लगे सिर्फ़ तुम हीं तुम बसे हो मेरे औरा में
तभी तो मेरी रात बड़ी मुश्किल से कटती है