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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

ख्वाब अपने...सपने

एक रोज आया चांद मेरी खिड़की में
कहने लगा प्रेम से बाते मेरी खिड़की में
मैं तो जागता हूं रात रात ढूंढने को चांदनी
तुम क्या ढूंढते हो रात रात भर किताबों में
एक रोज आया चांद मेरी खिड़की में.......1
मैने खोया है उसे इन्ही काली रातों में
मैने ढूंढा है उसे इन्ही सभी गलियों में
लेकर मशाल उजाले की ढूंढता हूं उसे
तुम भी ढूंढते हो जला दिया किसे इन किताबों में
एक रोज आया चांद मेरी खिड़की में.....2
ख्वाब खोए हैं हमने जाने कहां किन गलियों में
ख्वाब बुने हैं मेरे लिए न जाने कितनी आंखो ने
अब तो बस सहारा और किनारा है यही मेरा
मैं ढूंढ लूं जीवन का सारा फल इन किताबों में
एक रोज आया चांद मेरी खिड़की में.......3
जाने कितना पसीना खोया है हम संग हमने
कितनी भूंखो को मार खाया है हमने
लड़खड़ाते कदमों खुशी से खिलते चेहरे को
ढूंढ रहा हूं उनके जीने का सहारा इन किताबों में
एक रोज आया चांद मेरी खिड़की में....4




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut sundar rachna bahut gahare vicharon se ot prot.. Pranaam sweekar karein mahoday 🙏🙏

Uday Kumar Shukla replied

आपका दिल की गहराइयों से आभार प्रणाम 🙏

रीना कुमारी प्रजापत said

तुम क्या ढूंढते हो रात भर किताबों में... बहुत सुन्दर

Uday Kumar Shukla replied

बहुत बहुत आभार आपका

Arpita pandey said

Nice lines

Uday Kumar Shukla replied

बहुत बहुत आभार आपका अर्पिता जी

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