जब आप आते हो तो क्या खूब महफ़िल
सजती है,
जब आप नहीं आते हो तो महफ़िल
महफ़िल नहीं लगती है।
हमारी महफ़िल के चांद हैं आप,
हमारी महफ़िल में चार चांद लगा देते हैं आप।
लगती होगी दुनियां में कई महफ़िलें
पर हमारी महफ़िल सी महफ़िल कहीं लगती नहीं, जी लेते हैं हम एक महफ़िल में कई जनम
एक महफ़िल भी ऐसी होती है हमारी।
लोगों की महफ़िलें अक्सर गमों में लगा करती है
और जाम नशे के छलकते हैं,
हमारी महफ़िल का गमों से कोई वास्ता नहीं
हमारी महफ़िल में जाम खुशियों के छलका करते हैं।
आज फिर लगने वाली है एक और महफ़िल हमारी, आ जाना हमारी महफ़िल को सजाने
क्योंकि बिना आपके हमारी महफ़िल
महफिल नहीं होती।