मेरी मातृभूमि कर्म भूमि को मेरा वंदन है,
इसकी मिट्टी धूल की सुगंध मेरा चंदन है।
जननी हे पुण्य धरा हे मातृभूमि हे कर्मभूमि,
अर्पित है मेरा ये जीवन सादर तेरे ही चरणों में।
मातृभूमि का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है,
इसकी रक्षा करना हमारा परम धर्म है।
है ऋणी तेरा सारा जीवन जो देने का उपकार किया,
मिटकर तेरा ये कर्ज कभी लौटा तो नहीं सकता ऐ माँ।
मातृभूमि के लिए शहीद होना गर्व है,
इसकी रक्षा के लिए हमें सदैव तैयार रहना है।
समृद्ध इतिहास की थाती का गुण गाऊं और इठलाऊं मैं,
हे वीर प्रसूता, मातृभूमि चाहत ये सदा पूरी करना।
मातृभूमि के लिए हमें अपना सब कुछ न्योछावर करना,
हमारा कर्तव्य है, इसे निभाना है।
नहीं लगने दूंगा दाग़ कोई रहे उज्ज्वल सदा तेरा दामन,
दुश्मन चाहे जैसा भी हो दूं मिला राख में ये वर दे।
मातृभूमि की रक्षा के लिए हमें एकजुट होना होगा,
इसकी रक्षा के लिए हमें सदैव तैयार रहना है।
स्वरचित
डाॅ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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